मंगलवार, 17 जनवरी 2017

गीली मौत सूखी मौत





गीली मौत सूखी मौत
एक साथ गीली भी !
एक साथ सूखी भी !
हॉं ! एक साथ ।
यादों से गीली और
अहसास से सूखी
यादें ऑंसुओं से गीलीं
और
अहसास मर्महीन व सूखे
आहें  न लो
आहें होंगी सर्द
न गीलीं न सूखीं ।
कुछ तप्‍त कुछ आतप्‍त
वैसे ही जैसे
गंगासागर में
भक्ति गीली,
रास्‍ता गीला
पर मौत !
मौत है सर्द
दर्द भी सर्द
गीला काठ का शरीर,
प्राण से सूखा
आत्‍मा से रहित,
मानवता गीली ।
छूटे पीछे, कुछ आगे
जि़न्‍दगी के मोतियों पर
असमय उछल आए
कुछ मौत के धागे
कुछ सपने, कुछ अपने,
कुछ यादें, कुछ अरमान,
मन, परिजन सब कुछ
गीला-गीला सूखा-सूखा
बेवक्‍़त, बेवजह, बेसबब
निर्लिप्‍त व्‍यवस्‍था या
बुलावा उसका
जीवन की सॉंसों का
अवसान ऐसा भी !
धर्म और आस्‍था का
मिलन ऐसा भी
गीला भी सूखा भी !
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